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    बाजार में सबसे बड़ी गिरावट का कौन है जिम्मेदार, क्या बजट में बदलाव से पड़ा फर्क?

    29 बरस के बाद ऐसा हो रहा है कि भारतीय शेयर बाजार में लगातार 5 महीनों तक बिकवाली हुई हो और शेयर बाजार ने लगातार नेगेटिव रिटर्न दिए हों. इससे पहले 1996 में ऐसा देखने को मिला था. इस बीच 2008 की वैश्विक मंदी आई, कोरोना काल आया, मगर इस तरह की गिरावट नहीं देखी. इस गिरावट के कई कारण हैं, मगर एक मुख्य कारण भारत सरकार का वह फैसला भी बताया जाता है, जिससे विदेशी निवेशक खफा नजर आए हैं. हेलियोस कैपिटल (Helios Capital) के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) समीर अरोड़ा ने सरकार के उसी फैसले पर उंगली उठाई है. उन्होंने कहा है कि सरकार की गलती की वजह से विदेशी निवेशक लगातार पांच महीनों से माल बेचकर भाग रहे हैं. अरोड़ा ने यह बात एक मीडिया हाउस के प्रोग्राम में कही.

    सरकार ने की ‘सबसे बड़ी गलती’

    समीर अरोड़ा ने भारत सरकार के कैपिटल गेन टैक्स को “सबसे बड़ी गलती” बताया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यह नीति निवेशकों के मनोबल को कमजोर कर रही है और भारतीय शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर शेयरों की बिकवाली का कारण बन रही है. अरोड़ा ने कहा, “सरकार ने जो सबसे बड़ी गलती की है, वह है कैपिटल गेन टैक्स, खासकर विदेशी निवेशकों पर. यह 100% गलत है.” उन्होंने बताया कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार पांच महीनों से भारतीय शेयर बेच रहे हैं. पिछले दो महीनों में उनकी बिकवाली 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है. बजट में क्या बदलाव किया था सरकार ने

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के केंद्रीय बजट में लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ (LTCG) कर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है. साथ ही, कुछ वित्तीय प्रतिभूतियों (फाइनेंशियल सिक्योरिटीज) पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है. सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को संसद में कहा, “सूचीबद्ध वित्तीय संपत्तियों को एक साल से अधिक समय तक रखने पर उन्हें लंबी अवधि की संपत्ति माना जाएगा, जबकि असंचित वित्तीय संपत्तियों को दो साल से अधिक समय तक रखने पर लंबी अवधि की संपत्ति माना जाएगा.” इन टैक्स वृद्धि का असर शेयर बाजार पर साफ देखा जा सकता है.



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