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    पोटका : मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत 127 योजनाएं, पांच साल में धरातल पर नहीं उतर पाई

    * पशु शेड, पोलट्री फॉर्म के अभाव में 5 साल से योजनाएं अधर में 
    * सुकर सेड जल्द मिलेगा कहकर 2 साल से नहीं मिला शेड 
    * विधवा मालती महाली के पास हैं आठ सुकर 
    * खुले आसमान के नीचे या झोपड़िया में सुकरों को रखने के लिए विवश है मालती 
    * 75% अनुदान पर मिले थे एक नर  एवं चार मादा 
    * मनरेगा के तहत बनना था पशु सेड 
    * फंड का रोना रो रहा है रोजगार सेवक जिसके कारण 2 साल से नहीं बना शेड 

    Potka : एक तरफ झारखंड सरकार सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसानों एवं पशुपालकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए तरह-तरह की योजनाएं तैयार कर रही है. मगर यह योजनाएं धरातल तक पहुंचते पहुंचते दम तोड़ रही है. जी हां, पोटका प्रखंड में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना अंतर्गत पशुपालकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए वाक्याड लेयर (अंडा के लिए) सुकर शेड, कुकुट पालन (मांस के लिए) गव्य पालन जैसी योजनाएं चलई जा रही है, ताकि किसान दूध, मांस आदि से स्वरोजगार कर आगे बढ़ सकें. वहीं जामदा पंचायत के टॉप गढ़िया की रहने वाली विधवा मालती महाली का दर्द सुनाने वाला कोई नहीं है. हर सप्ताह 30 किलोमीटर साइकिल की यात्रा कर प्रखंड कार्यालय पहुंचती है. रोजगार सेवक तथा पशुपालन विभाग का दरवाजा खटखटाते खटखटाते आज थक चुकी है. उनका कहना है कि उन्हें लगभग दो साल पहले 75% अनुदान पर चार मादा एवं एक नर सुकर पशुपालन विभाग की ओर से दिया गया था. 14 हजार चार सौ पचास रूपये जमा की थी. वहीं इस योजना के तहत 75% अनुदान पर पशुपालन विभाग द्वारा सुकर उपलब्ध कराया जाता है तथा मनरेगा के तहत पशु सेड का निर्माण किया जाता है. मगर पशु शेड का निर्माण नहीं होने के कारण एक छोटी सी झोपड़ी में सुकर रखने को विवश है. मालती कहती है कि इतने सारे सुकरों को छोटे से झोपड़ी में रखना मुश्किल हो रहा है. बारिश के दिनों में और ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. आज मालती के पास कुल आठ सुकर है. इसे रखने की जगह नहीं है. रोजगार सेवक आज बन जाएगा कल बन जाएगा का आश्वासन देते हैं लेकिन आज 2 साल बीत गए मगर पशु शेड नहीं बना. 

    फंड के अभाव में पशु शेड नहीं बना- रोजगार सेवक

    वही रोजगार सेवक से बात करने पर उनका कहना है कि फंड के अभाव में पशु शेड नहीं बनाया जा रहा है. साथ ही साथ भेंडर का पहले से ही पैसा बकाया है जिसके कारण सामान की आपूर्ति नहीं हो पा रहा है. एक आंकड़े के अनुसार 2020-21 से 2024 - 25 तक सुकर योजना के 68 योजना स्वीकृत हुए जिसमें 49 लाभुकों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया. वाक्यड लेयर के 41 में 7 लाभकों को ही लाभ मिला. साथ ही बॉयलर में पचासी लाभुकों का योजना स्वीकृत हुआ जिसमें 11 लाभुकों को इसका लाभ मिला. कुल 194 योजनाएं स्वीकृत हुई. मात्र 67 लाभुकों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है. वही शेड के अभाव में पांच सालों 127 योजनाएं धरातल पर उतर नहीं पा रही है.

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