पलामू : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 251 अनुसेवक बर्खास्त, पुनर्विचार याचिका दाखिल
Palamu : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पलामू में 251 अनुसेवकों को बर्खास्त कर दिया गया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने साल 2010 में फोर्थ ग्रेड के पद पर निकली बहाली को अवैध करार देते हुए बहाली को रद्द करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पलामू डीसी ने सभी अनुसेवकों को बर्खास्त कर दिया है. बर्खास्तगी का पत्र 22 फरवरी को जारी हुआ है, जबकि शुक्रवार को अनुसेवकों को आधिकारिक तौर पर जानकारी हुई है. इधर अनुसेवकों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. अनुसेवक राजेंद्र राम के नेतृत्व में 239 अनुसेवक सुप्रीम कोर्ट गए हैं. सभी अनुसेवक बर्खास्त होने के बाद शुक्रवार को पलामू के शिवाजी मैदान में जमा हुए. अनुसेवकों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की गई. वे वर्षों से नौकरी कर रहे हैं. उनकी क्या गलती है. बर्खास्त होने वाले अनुसेवक नरेश भारती और विवेका शुक्ला ने बताया 2010 के विज्ञापन पर कई अनुसेवक बहाल हुए थे. लेकिन सात अनुसेवकों को बर्खास्त नहीं किया गया है. अनुसेवक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि कई अधिकारियों से उन्होंने मिलने का समय मांगा था, लेकिन समय नहीं दिया गया. जिला प्रशासन को मामले में अपील करनी चाहिए थी, लेकिन अपील नहीं की गई. कई ऐसे अनुसेवक हैं, जो दिव्यांग हैं. अब अगले चार से पांच महीना में रिटायर भी होने वाले थे. बर्खास्त अनुसेवकों ने बताया कि इस तरह की बहाली के विज्ञापन झारखंड के अन्य जिलों में भी निकली थी.
क्या है पूरा मामला
दरअसल साल 2010 में पलामू में फोर्थ ग्रेड बहाली के लिए विज्ञापन निकाला गया था. 2017-18 में सभी लोगों की बहाली हुई थी. बहाली के लिए 22 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था. नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थी अमृत यादव कोर्ट गए. अमृत यादव का आरोप था कि नियुक्ति में कई प्रकार की गड़बड़ी हुई थी. परीक्षा में उनका चयन हुआ था, लेकिन दोबारा जब पैनल बनाया गया तो वे शामिल नहीं थे. उन्हें बताया गया था कि नंबर कम हैं. वे मामले को लेकर हाईकोर्ट गए थे. हाईकोर्ट में राहत नहीं मिलने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट गए. विज्ञापन में इस बात का जिक्र नहीं था कि कितने पदों पर बहाली होनी है.
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