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    अत्याचार को चुपचाप सहना और देखना भी अन्याय से कम नहीं : शिल्पी नेहा तिर्की

    - अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने महिलाओं को संगठित हो कर अन्याय के खिलाफ लड़ने का किया आह्वान

    - मांडर कॉलेज मैदान में प्रगतिशील महिला सम्मान समारोह का आयोजन 

    Ranchi : मांडर कॉलेज मैदान में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक बार फिर आधी आबादी ने अपनी ताकत का अहसास कराया. प्रगतिशील महिला सम्मान समारोह में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने अन्याय और अत्याचार को चुपचाप सहने और देखने को भी अन्याय की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि आज आधुनिक भारत की महिलाएं अब घर की चौखट को लांघ कर अपने हक और खुद पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ने को तैयार है. समाज में महिलाओं को हमेशा लोक- लाज के दायरे में बांधने की कोशिश हुई . आज जरूरत है कि महिलाएं एक दूसरे की ताकत बनेX और जरूरत पड़ने पर संगठित हो कर अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार रहे. शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में हमेशा से महिलाओं की भागीदारी ने चौंकाया है. 

    गांव-पंचायत में कई महिलाएं बेहतर काम कर रही : मंत्री

    मंत्री ने कहा कि कई महिलाएं है जो गांव, पंचायत में बेहतर काम कर रही है. ऐसी महिलाओं का सम्मान जरूरी है. आज समाज में 80 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं. मैंने अच्छा काम करने वाली महिला अधिकारियों को भी सबसे ज्यादा महत्व दिया है. यही वजह है कि चान्हो / लापुंग / बेड़ों प्रखंड कार्यालय में महिला अधिकारी काम करती हुई दिख जाएगी. मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की राशि होली से पहले मिलने जा रही है. सम्मान राशि 2500 रुपया का निवेश बेहतर तरीके से करें और लखपति दीदी कैसे बनें, इस पर जोर देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग से जिसे भी योजना की जरूरत है विभाग का दरवाजा सदैव खुला है. 

    महिलाएं संघर्ष की प्रतीक : के. राजू

    झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के राजू ने अपने संबोधन में महिला को संघर्ष, जीत और आकांक्षा का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश की महिलाओं ने झारखंड के गांव में आ कर महिला समूह बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आंध्र प्रदेश की महिलाओं ने शराब के खिलाफ सबसे पहले लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया था. शराबबंदी के नाम पर सबसे पहले महिलाओं की गोलबंदी हुई. उस वक्त वो खुद उस जिला के अधिकारी थे. एक गांव से शुरू हुए शराबबंदी आंदोलन से प्रभावित हो कर एक हजार के करीब गांवों में शराब पीने पर पाबंदी लग गई. सरकार ने भी महिलाओं के इस प्रयास का समर्थन किया. वहीं से SHG ग्रुप बनाने की शुरुआत हुई. महिला समूह का हर माह बैठक होना जरूरी है. झारखंड में 2500 रुपए महिला सम्मान के तौर पर मिल रहा है. इस राशि का उपयोग बेहतर तरीके से करें. राशि का बचत कर अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा और परिवार के विकास में योगदान दे सकते हैं. 


    महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर

    महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने कहा कि आज जो मंच के नीचे भीड़ में बैठी हुई महिला है वो कल इस मंच पर होगी. वो अपने काम की बदौलत ये मुकाम हासिल कर सकती हैं. उन्होंने मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के पिता बंधु तिर्की को प्राउड फादर के नाम से संबोधित किया. कांग्रेस ने महिलाओं को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है. पहले लोग कहते थे कि 33 प्रतिशत महिला आरक्षण से किसको लाभ मिलेगा. आज राजनीति के मैदान में महिलाओं की उपस्थित उसका जवाब है. उन्होंने कहा कि महिलाएं मल्टी टास्किंग होती है. एक महिला दूसरी महिला को सम्मान देते हुए आगे बढ़े, ये आज की जरूरत है. महिला पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का काम करें. महिला पर अत्याचार होते हुए नहीं देखेंगे इसका संकल्प लीजिए. महिला कौम को कोई नहीं बांट सकता है. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि आज महिलाओं के लिए शिक्षा के साथ- साथ राजनीति में प्रमुख भूमिका जरूरी है. झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के 4 मंत्री में से 2 महिला मंत्री है. पूर्व मंत्री सह प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि हर साल ये सम्मान महिलाओं को देने का काम करते हैं. घर की चौखट से बाहर निकल कर अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं को मैं सलाम करता हूं. परिवार के साथ समाज को आगे बढ़ाने के लिए कंधा से कंधा मिला कर चलने की जरूरत है. सब मिलकर बेहतर गांव बेहतर पंचायत का निर्माण कर सकते है. प्रगतिशील महिला सम्मान समारोह में अलग-अलग क्षेत्र में बेहतर काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया. समारोह में अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज लक्ष्मी नारायण मांझी, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी लवली चौबे भी मुख्य रूप से मौजूद थी. इस मौके पर महिला समूह की भूमिका, समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार सहित सामाजिक कुरीतियों पर आधारित नाटक की प्रस्तुति भी की गई.

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